ANCS Jal Neti Lota Steel For Sinus

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Rs 250
ANCS Jal Neti Lota Steel For Sinus
ANCS Jal Neti Lota Steel For Sinus

Description :

ANCS Jal Neti Lota Steel For Sinus is a very simple and effective treatment in Panch Karma Yoga. For headache and catrath, it is the best remedy. Jal neti is a well known and naturopathic practice to clean and keep healthy the organs of nose, neck mouth and head in hath yoga. characteristics of loth There is a special technique in the tube of out Lota, that can easily enter in the holes of nose. Its nipple would not make scratch inside the nose.

Method of using lota

(A) First of all, take a litre of fresh water and mix one gram salt in it.

(B) Then sit on the feet and enter the nosal of Lota in your right nose. Bend your neck towards left side, so that water can come-out from the another nose. Keep your mouth open, such as to breath by throat and water may not go in to the throat also.

(C) Do the same process by another nose with the rest of water.

(D) After this, stand up and bend your waist to the front side. Now do the 'BRASRIK PRANAYAM' means-shut the mouth and throw your breeths out side hastily by nose so that the unused water would come out from the nose.

(E) In the end, apply some coco-nut oil in the nose with a finger.

ADVANTAGES OF JALNETI : It is a very efficacious to cure headache, cold and catarth etc. To keep fit, if you do this practice once a week, your vision and memory also develop and the mucus of your nose would refine too.

On primary stage, this practice should be done, in the presence of an experience-holder or at the nearest Naturopathic Hospital. 
Acupressure Natural Care System,Jodhpur Tel.: 0291 2752172                 www.acupressures.com

  जलनेति , पंचकर्म ,जल चिकित्सा योग की एक सरल एवं प्रभावशाली क्रिया है ! सिरदर्द और जुकाम के लिए यह एक उत्तम साधन है ! नाक ,गले व सिर के सभी अवयवो की सफाई स्वच्छता एवं निरोगिता के लिए जलनेति सुलभ व प्राकृतिक प्रक्रिया है ! नेति क्रिया के अभ्यास से नजला, एलर्जी, माइग्रेन, साइनोसाइटिस, आँखों में पानी आना, अस्थमा आदि रोगो को ठीक किया जा सकता है ! लोटे की विशेषता - इस लोटे में ऐसी नलकी लगी है जो नासिका -छिद्र से सहज ही प्रविष्ट कर जाती है ! इसका अग्रभाग इस प्रकार से बनाया गया है ताकि नाक में घाव नहीं हो पता है शुरू - शुरू में यह क्रिया , किसी अनुभवी व्यक्ति अथवा निकट के  प्राकृतिक चिकत्सा क्रेन्द्र में, चिकित्सक की देखरेख में करनी चाहिए !

उपयोग विधि :

1. एक लीटर स्वच्छ पानी को उबाल ले ! गुनगुना रहने पर, आधा पानी नेति के लोटे में भर ले, इससे नाक में जलन नहीं होती !

2. फिर उकड़ु बैठकर , लोटे की नली नाक के दाहिने नासिका ने हलके से  प्रविष्ट कराएं! गर्दन को बाई तरफ थोड़ा मोड़ लेंगे तो पानी दूसरे नासिका से बाहर आने लगेगा ! मुँह को खुला रखिये ताकि गले से साँस आता-जाता रहेगा और पानी  नाक के अंदर जायेगा जुकाम की समस्या ज्यादा हो तो थोड़ी सी बाण भी मिलाई जा सकती है !

3. यही क्रिया शेष बचे पानी से , दूसरे नासिका द्वारा भी दोहराए !

4. इसके पश्चात खड़े होकर कमर को आगे झुकाइए और भस्त्रिका प्रणायाम करे यानि मुँह बंद करके, तेजी से नाक से साँस बाहर फेंके जिससे की नासिका में रुका हुआ पानी बाहर निकल जाये !

5. अंत में, तिल्ली या नारियल का तेल ,अंगुली भरकर नाक के अंदर लगाए !

नेति के लाभ : सिरदर्द, जुकाम और नजला के लिएयह एक रामबाण इलाज है ! सप्ताह में एक बार, सफाई के तौर पर भी यह क्रिया की जाये तो आँखों की ज्योति एवं याददाश्त बढ़ती है और नाक का शलेषमा शुद्ध हो जाता है

पानी की मात्रा : 500 ML

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